Tuesday, May 12, 2009

विवाह समारोह
रणत भवंर का लाडला, गणनायक गणराज / प्रथान निमंत्रण आपको, सकल सुधारो काज //

शुभ प्रसंग है गाते मंगल गीत
होगी जब तेल बान की रीत

मामाजी लायेंगे ममेरा मामी होगी साथ
तब मिल कर मनाएँगे हम चाक भात

झिलमिल करते आँगन में
फूलों से महके मधुबन के साथ
होंगे सभी मनमीत
जब होगा महिला संगीत

लाडली
इस घर की लाडली, उस घर की लाज, खिले यहाँ महके वहां, कैसे बना रिवाज/
बेटी बुल-बुल बाग़ की, बढ़ा न माली प्रीत, अपने घर उड़ जायगी, यही है जब की रीत//

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