Tuesday, December 26, 2017

अन्याय का अँत

जुल्मी कब तक जुल्म करोगे सत्ता के गलियारो से !
चप्पा-चप्पा गूंज उठेगा जय हो बंदी छोड़ के नारो से !!

Saturday, July 15, 2017

Atam shudhi

कबीर परमात्मा प्रतिदिन स्नान करने के लिए गंगा तट पर जाया करते थे. एक दिन उन्होंने देखा की पानी काफी गहरा होने के कारण कुछ ब्राह्मणों को जल में घुसकर स्नान करने का साहस नहीं हो रहा है. उन्होंने अपना लोटा मांज धोकर एक व्यक्ति को दिया और कहा की जाओ ब्राह्मणों को दे आओ ताकि वे भी सुविधा से गंगा स्नान कर लें.

कबीर परमात्मा का लोटा देखकर ब्राह्मण चिल्ला उठे--अरे जुलाहे के लोटे को दूर रखो. इससे गंगा स्नान करके तो हम अपवित्र हो जायेंगे.

कबीर परमात्मा आश्चर्यचकित होकर बोले--इस लोटे को कई बार मिट्टी से मांजा और गंगा जल से धोया, फिर भी साफ़ न हुआ तो दुर्भावनाओं से भरा यह मानव शरीर गंगा में स्नान करने से कैसे पवित्र होगा?
.            sat sahib